Sunday, 6 August 2017

Sultan Mehmood Shah Khilzi Tomb__Dhar City



               शहंशाह जो दफ्न है फ़क़ीर (शाह ) की चौखट पर

  •          जूते -चप्पल की जगह दफ्न है मांडव का सुल्तान 
मांडव के सुल्तान महमूद शाह खिलज़ी ने आज से 700 साल पहले सन 1350 के आसपास मालवा पे हुकूमत की | आप मांडव के राजा थे | सुलतान महमूद शाह बहुत मह्त्वाकांशी थे उनकी ज्यादातर ज़िन्दगी पड़ाव में ही गुजरी |
उनकी दिली ख्वाहिश थी कि वो दिल्ली पर भी हुकूमत करे , दिल्ली को जितने के लिए मेवाड़ (चित्तोड़ ) फतह करना जरुरी है क्यूंकि वो रास्ता है ,लिहाजा मेहमूद शाह ने मेवाड़ के राणा कुम्भा से जंग की लेकिन जंग का कोई भी रिजल्ट नहीं आया | राणा कुम्भा ने खुद की जीत मान ली और चित्तोडगढ किले पर विजय स्तम्भ (VICTORY TOWER) बनवाया ,जो आज भी चित्तोड़ गढ़ किले पर है , इधर मेहमूद शाह खिलजी ने भी अपनी जीत की ख़ुशी मानकर मांडव में जामा मस्जिद के ठिक सामने अशरफ़ी महल में एक बहुत ही ऊँची और शानदार मीनार जल्दबाजी में बनवाई | वर्तमान में उस मीनार के अब सिर्फ निशान ही बाकी है |

ख्वाजा गरीब नवाज़ का जो मशहूर गुंबद हम देखते है उसका निर्माण भी सबसे पहले महमूद शाह ने करवाया | महमूद शाह की बनवाई गई गुम्बद से पहले गरीब नवाज़ की मजार पर कोई गुम्बद नही था | धार के मौलाना कमाल रहमुल्लाह अलैह से आपको बहुत निस्बत थी ,उनकी मजार का गुम्बद और भोजशाला की मस्जिद भी इन्होने बनवाई | मौलाना कमाल से बेपनाह मोहब्बत रखने वाले इस सुलतान ने मरने से पहले अपनी वसीयत में लिखा __" मुझे मरने के बाद वहां दफ्न करना , जहाँ लोग हजरत मौलाना से मिलने के लिए जाते वक़्त चौखट पर अपने जुते-चप्पल उतारते है "
आज भी धार स्थित मशहूर भोजशाला के पास मौलाना कमाल की दरगाह के ठिक सामने जूते-चप्पल उतारने की जगह पर सुल्तान दफ्न है | फोटो में जो मजार दिखाई दे रही है वो मांडव के सुल्तान मेहमूद शाह खिलज़ी का मक़बरा है और उनके दक्षिण दिशा में उनकी बीबी का मकबरा |
लेखक 
__जावेद शाह खजराना


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