Wednesday, 9 November 2016

Modi Banam Tuglaki farman



Modi Banam Tuglaki farman / मोदी बनाम तुगलकी फ़रमान  (लेखक :- जावेद शाह खजराना)

जावेद शाह खजराना 
जब कोई ऐसा आदेश सरकार देती है, जो आपको पसंद नहीं होता, तो आप कहते हैं "लो जारी कर दिया तुगलकी फरमान"। बहुत लोग आज भी सोचते हैं कि मोहम्‍मद बिन तुगलक एक तानाशाह था, जो जनता को दु:ख देने में जरा भी कसर नहीं छोड़ता था। उसकी सनकपन के किस्से इतिहास में बहुत मशहूर है , जैसे दिल्ली राजधानी को उठाकर दौलताबाद ले जाना |उनमें से एक दिलचस्प किस्सा सिक्के की रद्दो-बदल का भी है | लेकिन अगर आप कभी नकली नोट के शिकार हुए होंगे, या इस लेख को पढ़ने के बाद भविष्‍य में शिकार हुए तो तो यही कहेंगे, "मोहम्‍मद बिन तुगलक बन गई है हमारी सरकार।"
2000 और 500 का जारी नया नोट
भारत में जाली नोटों की मार अब गरीब आदमी झेल रहा है। देश से दुश्मनी रखने वाले मुल्कों से अब ऐसे जाली नोट छप कर आ रहे हैं जिन्हें पहचानने के लिए आपको कम से कम तीन चार दिन की ट्रेनिग लेनी होगी। अखबारों में आये दिन ये खबर छपती रहती है कि बंगलादेश या पाकिस्तान के रास्ते नकली नोटों की खेप चलाते हुए गेंग पकड़ाई | जिस देश में आधी से ज्यादा आबादी अशिक्षित हो वहां जाली नोटों को बारीकी से कौन समझ पाएगा ? इस पर देश में नियम यह बनाया गया है कि जैसे ही बैंक ऐसे जाली नोट देखे उसे तुरंत नष्ट कर दें। अब विडम्बना देखिए सरकार कागज की करंसी में यह वादा करती है कि वह इस मूल्य के बराबर आपको मूल्य देगी ,लेकिन जैसे ही पता चलता है कि ये नकली नोट है तो बेचारा धारक उसे नष्ट करने पर मजबूर हो जाता है क्यूंकि कानूनी पचेडों में कौन पड़ना चाहेगा। देश में जाली नोट न चले यह जिम्मदारी भी भारत सरकार की है फिर वो कैसे किसी आम नागरिक को इसका दोषी बना सकती है।  जबकि उसका दोष केवल इतना होता है कि वह नोट को बारीकी से जांच नहीं पाया। इसका परिणाम यह होता है कि लोग जाली नोट मिलने पर उसे बैंक में न ले जाकर बाजार में किसी और को चला देते है। इस तरह जाली नोट बाजार में अपना काम करते रहते हैं जिसके लिए उन्हें बनाया गया है। जब किसी के पास पांच सौ या हजार का एक या दो जाली नोट आ जाता है तो वह इसे लेकर न पुलिस के पास जाता है न बैंक के पास। वह इसे अपने पास रख लेता है किसी और को बेवकूफ बनाने के लिए। लेकिन सवाल यह है कि जब कागज की करेंसी चलाई गई तो इस पर नियत्रंण का काम सरकार के पास था जाली नोट रोकने का काम भी सरकार के पास है। तो जाली नोट गलती से पा जाने वाला भारतीय नागरिक उसकी सजा क्यों भुगत रहा है। 
सरकार ने काला धन और नकली नोट रोकने के लिए 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर करने की जो निति लागू की है वो कहाँ तक सार्थक है या तुगलकी फरमान जारी करके सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला तो झाड लिया है  लेकिन वो इस योजना में कितनी सफल होगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा |
क्या सरकार यह समझती है कि दो जाली नोट रखने वाला इस नोट की तस्करी कर रहा है यदि नहीं तो जाली नोट गलती से पा जाने वाले व्यक्ति को भी पीडि़त माना जाना चाहिए और कानून के मुताबिक उसे सरकार की तरफ से मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन हो क्या रहा है लोग पीडि़त की जगह मुलजिम बने जा रहे है और वह अपनी गाढ़ी कमाई को ऐसे ही लुटते देख रहे हैं। कल प्रधानमंत्री मोदी ने जो आदेश जारी किया है वो काबिले तारीफ़ भी है इससे कम से कम कालाधन और रुका हुआ धन कम से कम बाज़ार में आएगा तो सही अगर नही आया तो वो रद्दी में तब्दील है , नकली नोट धारक भी हाथ पे हाथ धरे देखते रह जायेगे क्यूंकि बैंक या पोस्ट ऑफिस में आप एक दिन में 4000 से ज्यदा की रकम बदलवा नहीं सकते | इस घटना से देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था पर क्या –क्या असर होगा ये भी जानना दिलचस्प है | जैसे ही कल ये तुगलकी फरमान आया तो इंदौर के सराफा बाज़ार में सोने ने भी अपना रिकार्ड तोडा सोना 45,000 के पार तक बिक गया एक ही दिन में 12,000 रुपये की उछाल ? अब ये कमाल हुआ की नहीं ?
इतिहास के झरोखे में :- 
नकली सिक्‍के भारत में लगभग 700 साल पहले धड़ल्ले से चल चुके है , दिल्ली के तख्त पर मोहम्मद बिन तुगलक नाम का बादशाह बैठा था उसने पहली बार दिल्ली में चांदी की जगह तांबे के और चमड़े के सिक्के चलाए जिसका मूल्य चांदी के सिक्कों की तरह था, लेकिन टकसाल की उचित व्यवस्था न होने के कारण उसकी योजना फेल हो गई और लोग चमड़े के नकली सिक्के बनाने लगे। घर -घर में नकली सिक्को की कटाई होने लगी । जब उसे इसकी खबर हुई तो उसने चमड़े के सिक्कों पर रोक लगा  दी और आदेश दिया कि लोग चमड़े के सिक्के (जिनका मूल्य चांदी के सिक्कों के बराबर था) लाकर दे जाए और चांदी के सिक्के ले जाए। इस आदेश के बाद लोग बड़ी संख्या में सरकारी खजाने में चमड़े के सिक्के जमा करा गए और चांदी के सिक्के ले गए। इस घटना के 100 साल बाद जब सय्यद वंश के मुबारक शाह ने शाही खजाने  में चमड़े के सिक्कों का पहाड़ खड़ा देखा तो अपने वजीर से कहा की इसके बदले बादशाह ने कितनी चांदी दी होगी ? ये सब योजना तुगलक की दिमागी उपज होती थी जिसमें मंत्री-मंडल का मशवरा शामिल नहीं होता था इसलिए ये तुगलकी फरमान कहलाए जिसका नतीजा हमेशा जीरो रहा |चमड़े के इन तुगलकी सिक्कों में 
वो सिक्के भी शामिल थे जो घर की टकसाल में नकली बनाए गए थे। लेकिन बादशाह का मानना था कि वो सिक्के नकली है तो भी हम इसे चांदी के सिक्के से बदलेंगे। क्योंकि सिक्के नकली न बने इसकी जिम्मेदारी भी तो बादशाह (सरकार) की है। कहते है कि इन सिक्को की अदला-बदली में उसका खजाना खाली हो गया और उसके सामने नकली सिक्कों का पहाड़ खड़ा हो गया। 
मोहम्मद बिन तुगलक की बात यहां इसलिए की जब उस बादशाह ने नकली करेंसी चलने की बात को अपनी नाकामी माना तो भारत सरकार किसी के पास नकली नोट मिलने पर उसे कैसे मुलजिम मान सकती है यदि मुलजिम मानती है तो उसे पकड़े और उस पर जाली नोट की तस्करी करने का मुकदमा चलाए। नहीं तो उसे पीडि़त मानते हुए उसे नकली नोट के बराबर की राशि का भुगतान करें। लेकिन बिडम्बना देखिये हम सब मोदी बनाम तुगलकी फरमान को मानने पर विवश है | अब इस आदेश से कितना कालाधन बाहर आएगा ? नकली नोट कब तक नहीं छप पायेंगे ? असली नोट में माइक्रोचिप लगी हुई है इससे उसकी संख्या और स्थान का पता भी चल जाएगा | इससे सरकार और ख़ुफ़िया तंत्र को रुपयों का ठिकाना लगाने के अलावा मुजरिमों को भी बड़ी लुट करने में आसानी होगी , ये इसके दुष्परिणाम है |
आगे -आगे देखिये होता है क्या ,,, 
***जावेद शाह खजराना

No comments:

Post a Comment